तक़दीर

आखिर वो टूट ही गया - सालों से पर्स के एक कोने में पड़ा था, ना ही एक से किसी दूसरे के हाथ में गया और ना ही किसी शौकिया चित्रकार ने बोर होकर उसकी पीठ पर कार्टून बनाये..

शायद अपनी तक़दीर को पाना उस बिज़नेस कार्ड के नसीब में ना था