फ़िल्में

श्याम बेनेगल से लेकर करण जौहर तक, सत्यजित रॉय से लेकर क्वेंटिन टारनटिनो तक - उसे हर तरह की फ़िल्में पसंद थी। हर रात कभी एक, कभी दो फ़िल्में देखता। और हर सुबह जब देर से आँख खुलती तो दिन भर पछताता..

उसका फ़िल्में बनाने का सपना फ़िल्में देखने के कारण टूटता जाता था!