कबूतर

यूँ तो पता था कि ऐसा होगा, धर्म, जाति और समाज के जालों में फसे, एक दिन वो एक दूसरे से बिछड़ जाएँगें, पर इतनी अचानक होगा इस पर हैरान हैं…

कुछ रिश्ते इमारतों पर रहते कबूतरों की तरह होते हैं, आपके लगाव की परवाह किये बिना यूँ ही एकाएक उड़ जाते हैं!