तनख्वाह

गांव गया तो बचपन का साथी, काशी मिला। बोला - बड़े दिन बाद आया सोनू तू तो। बड़े ही प्यार से मिला, मेरे बारे में पूछा, मेरी तनख्वाह पूछी।

जानकर बोला - बहुत खुशी हुई साहब, हम तो यहां कीड़े-मकोड़ों की तरह रहते हैं

मैं स्तब्ध था - एक ही पल में सोनू साहब और काशी कीड़ा बन गया था - तनख्वाह बढ़ गयी थी, और साथ में दोस्तों के बीच दूरियाँ भी!