दुश्मनी

हाथ में किताब थी, और बगल में चाय - पता ही नहीं चला कब वह भयंकर शाम फिर से आ गयी - लगा जैसे कोई अपना दूर जा रहा है और अब सालों बाद वापस मिलेंगे..

रविवार की शामों से मेरी दुश्मनी बचपन से है!