किताब

कम्पनी में नई-नई आई थी, अक्सर हाथों में किताब लिए दिखती।

यूँ तो उसका काम लाज़वाब था, पर प्रायः अपने आप में ही रहती। कुछ लोगों को शर्मीली लगती, और कुछ कहते कि घमंडी है।

किताबों का नशा ही कुछ ऐसा है, पढ़ने वालों को अपना आदी बना लेता हैं!