दुनिया

बहुत ही होनहार कवि था - एक-दो संकलन प्रकाशित हुए, पर ना नाम बना, ना काम। सुना है आज मर गया।

उम्र भर सोचता रहा कि दुनिया उसे नहीं समझी - प्रश्न यह कि वो दुनिया को समझा था क्या?