कभी बासी रोटी खाते हैं,
कभी बासी दाल खाते हैं
बच्चों को न खाना पड़े,
इसलिए पापा चुपचाप खाते हैं!
छोटी सी कहानी
Bite-sized short stories in Hindi
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बासी खाना
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यशोधरा और सिद्धार्थ
यशोधरा और सिद्धार्थ - यूँ होता तो क्या होता -
छोटा कवि
बहुत ही सुंदर लिखता था, लोग उसे छोटा कवि बुलाते, जानते थे कि बड़े होकर एक अच्छा लेखक या कवि बनेगा - आजकल एक क्यूबिकल में बैठ कर वो कंप्यूटर कोड लिखा करता है!
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राजनीति
लोग सोचा करते कि डूबती पार्टी में नेताजी का क्या भविष्य है, वो सत्ताधारी पार्टी में शामिल क्यों नहीं हो जाते? उन्हें क्या पता, जो आज डूब रही है, वो कल उभरेगी भी, और उनकी वफादारी का ईनाम हाई-कमान मंत्री पद से देगा।
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सपने
स्कूल जाना भी कितना बोरिंग लगता है, मज़ा तो तब आता है जब कलेक्टर अंकल बारिश में छुट्टी कर देते हैं… मैं बड़े होकर कलेक्टर ही बनूँगा, और हर रोज़ छुट्टी कर दिया करूँगा!
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स्कूल फेरवैल
छोटे शहर के छोटे बच्चे खुश हैं कि पढ़ने अब वो बड़े शहर जाएंगे,
कहाँ जानते हैं कि कितने दोस्तों से शायद फिर कभी ना मिल पाएंगे
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नई कार
नए शहर में आते ही उसने नई कार खरीदी - और पहले ही दिन उसकी कार में किसी ने अपनी जीप भिड़ा दी। जमके गुस्सा आया, पर मुँह से एक शब्द भी ना निकला
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शर्माजी का बेटा
शुक्लाजी का बेटा क्रिकेट स्टेट टीम में सेलेक्ट हुआ है। खुश हैं, पर जलन भी है कि वर्माजी का बेटा आईआईटी मंडी पढ़ने जा रहा है। वर्माजी भी खुश है, पर थोड़े दुखी हैं कि शर्माजी के बेटे का सिलेक्शन आईआईटी दिल्ली में हुआ है
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दो बहनें
आज भाई दूज है, हर साल की तरह इस बार भी वो एक दूसरे को तिलक लगा कर गिफ्ट देंगी। उन्हें कहाँ किसी भाई की ज़रूरत है, वो एक दूसरे के लिए काफी हैं!
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भाई दूज
इस बार होली से ज्यादा वो भाई दूज का इंतजार कर रही थी। पापा ने कहा था कि अब से छोटी उसे तिलक लगाएगी।
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रौनक
स्कूल के दोस्तो ने व्हाट्सएप पर एक ग्रुप बनाया था, पर उसमें शमशान की तरह शांति ही छाई रहती। किसी भले मानुष ने एक लड़की को ऐड किया, और तब से ग्रुप में काफी चहल-पहल है।
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रिश्वत
पुलिस ने उसे 1 हज़ार की रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा है - असमंजस में है, कैसे कहे कि वो एक बड़ा अफसर है - इतनी कम रिश्वत लेना उसकी शान के खिलाफ है!
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परेशान
साल में दूसरी बार हो रहा था, जो उसे पसंद आती, उनकी शादी हो जाती।
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चालाकी
टाइम मशीन बनायीं तो सोचा क्यों ना थोड़ा मज़ाक किया जाए - अपनी शादी के दिन लौटकर जूते कहीं और छुपा दिए। हैरान हुआ जब साली ने जूते फिर भी ढूँढ लिए। बात तो अब ईगो की थी - बार बार नयी जगह जूते छुपाता, साली हर बार ढूँढ लेती।
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पापा और बेटी
पापा रोज़ बेटी को प्यार से उठाते, तैयार करते, बेटी की पसंद का नाश्ता बनाते और स्कूल छोड़ने जाते। आज बेटी सबसे पहले उठकर तैयार खड़ी है - पापा को वो आज उनके ऑफिस छोड़ने जाएगी।
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सैलाब
गाड़ियों का सैलाब खड़ा था - कुछ जवाँ खूबसूरत सी कार थीं और कुछ उम्र-दराज़, पर तजुर्बेकार गाड़ियाँ। ट्रैफिक जाम में फँसे हुए हॉर्न के जरिये कुछ से बात की, अपने सुख दुःख बाँटे, कुछ मज़ाक किया; थोड़ा लगाव हुआ ही था कि ट्रैफिक खुला और मेरा मोड़ आ गया
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तक़दीर
आखिर वो टूट ही गया - सालों से पर्स के एक कोने में पड़ा था, ना ही एक से किसी दूसरे के हाथ में गया और ना ही किसी शौकिया चित्रकार ने बोर होकर उसकी पीठ पर कार्टून बनाये..
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दिल
प्रिया ने जब से अर्जुन का दिल तोड़ा है, तब से अर्जुन पागल सा हो गया है - दिन भर अत्ताउल्लाह खान के गाने सुनता है, क्लास में प्रिया को देख-देखकर रोता है..
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अक्लमंद
साथ में पढ़ा करते थे, इस बार मिला तो पता चला कि उसकी नौकरी छूट गई है। बहुत अक्लमंद था, इसलिए मुझे दुख हुआ पर वो एक नए उत्साह के साथ नौकरी ढूंढने में लगा था
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जलकुकड़े
मेरे पति एक नंबर के जलकुकड़े हैं, और आज तो इनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं है - मेरे सलमान को जेल हो गईं, और श्रीमान मंदिर में प्रसाद चढ़ा कर आये हैं - अब बताओ गुस्सा ना करूँ तो क्या करूं?
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वो लड़की
रोज़ 5 बजे आती, घाँस पर दौड़ती भागती, झूलों पर करतब करती, फिसल-पट्टी पर उल्टा चढ़ती। 10 साल की थी, पर बड़े बड़े बच्चों के दलों की कप्तान बनती - मुझे उससे लगाव सा हो गया था।
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चकाचौन्ध
शहर की चकाचौन्ध में वो एक कोने में ही दुबका रहता - अपने पर से विश्वास खोने लगा था। एक रात पता नहीं क्या सोचा, बस उड़ पड़ा। शहर गुज़रा, क़स्बा आया - क़स्बा गुज़रा, गाँव आया - रुका तो देखा कि अँधेरा गाँव उसकी रौशनी से अभिभूत था।
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ध्रुव
सुबह से ही उत्साहित था, 17 साल बाद ऋषिकेश में ध्रुव और बाकी दोस्तों से मिलने का प्लान बनाया था। रात आईं, सारे दोस्त आए। साथ में ध्रुव भी था, वैसा ही अटल और चमकीला - बचपन की सारी यादें वापिस आ गई
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मेरी बेटी
आज उसका बर्थडे है, पर शायद उसे पता भी नहीं है - वो तो हर दिन की तरह हँसते-मुस्कुराते पूरे घर के चक्कर काटने में व्यस्त है।
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तहज़ीब
लखनऊ के हज़रतगंज में फिर से ट्रैफिक जाम लगा हुआ है, बाईकों और कारों पर सवार आज के नवाब हर रोज़ की तरह “पहले मैं - पहले मैं” में मशगूल हैं!
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क्राइम सीन
पीले टेप से सब कुछ सील कर दो सर, ये कोचिंग सेंटर नहीं क्राइम सीन है, डॉक्टर और इंजीनियर बनाने के लिए यहाँ कितने ही कवि, कलाकार, खिलाड़ी रोज़ मारे जाते हैं!
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टमाटर
राजेश गाँव में रहता है, नीलेश शहर में। राजेश खेती करता है और नीलेश नौकरी। राजेश ने कल 1 रुपए किलो में टमाटर की फसल बेची है और नीलेश ने आज 50 रुपए किलो में टमाटर ख़रीदे। राजेश कमाई से दुखी है, नीलेश महंगाई से। दोनों को कहाँ पता है - भारत में मिडिलक्लास से ज्यादा संख्या मिडिलमेन की है!
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नाश्ता
लगता है जैसे कल ही की बात है, नागर जी ने नौकरी के पहले दिन नाश्ते में स्पेशल समोसा चाट खिलाई थी। कल रिटायर हो रहा हूँ, शायद पार्टी में हीरालाल की कुलिया चाट हो
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गौरैया
यूँ तो उसका सही नाम गौरैया था, पर उसे मैं चिड़िया ही कहता - कभी घर में आ जाती, कभी स्कूल की खिड़की पर दिखती, पकड़ने की कोशिश करता तो उड़ जाती - यूँ ही हमारी लुका-छुपी चलती रहती।
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सब्ज़ीवाला
साल भर हँसने चहकने वाला वो, किसी किसी दिन रोया भी करता था। आज भी वही दिन है - फिर बारिश ने उसकी सारी सब्ज़ियाँ ख़राब कर दी हैं।
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डरपोक
ऊँचाइयों से डरता, नदियाँ देख घबराता, अँधेरे में सहम जाता और चूहे बिल्ली देख हाथ-पैर फूल जाते - यूँ कहें तो डरपोक था।
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कबूतर
यूँ तो पता था कि ऐसा होगा, धर्म, जाति और समाज के जालों में फसे, एक दिन वो एक दूसरे से बिछड़ जाएँगें, पर इतनी अचानक होगा इस पर हैरान हैं…
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सेप्टिक टैंक
कुछ करना था उसे, कुछ बनना था उसे।
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सुबह के नौ
अचानक से नींद खुली, सुबह के नौ बज गए थे - घबराया, पर याद आया आज तो रविवार है! निश्चिन्त वापिस सो गया…
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चाय
फैंसी रेस्टोरेंट में पी, फाइव-स्टार होटेल में पी,
पर कोई भी वैसी न लगी जैसी कोने की टपरी में पी,
शायद चाय में घुली थी चीनी के साथ सादगी,
शायद जीने की जिद्दोजहद, शायद कड़ी मेहनत पी -
रामनवमी
कुछ साल पहले की बात है, फेसबुक पर एक ‘फ़ेक-न्यूज़’ वायरल हुई जिसमे मंत्री सीताशरण के खिलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। मुख्यमंत्री 14 साल बाद सत्ता में लौटे थे, और उन्होंने अपने शासन की छवि बचाने के लिए मंत्री से इस्तीफ़ा ले लिया..
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सूखा गुलाब
पुरानी किताब में सूखा हुआ गुलाब मिला, सारी यादें ताज़ी कर गया - वो नज़रे मिलना, वो पहली बार साथ में ‘डेट’ पर जाना, वो प्यार का इज़हार और शादी।
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दुश्मनी
हाथ में किताब थी, और बगल में चाय - पता ही नहीं चला कब वह भयंकर शाम फिर से आ गयी - लगा जैसे कोई अपना दूर जा रहा है और अब सालों बाद वापस मिलेंगे..
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पहला दिन
कॉलेज का पहला दिन था, आँखे यूँ तो दोस्ती को तत्पर थी, पर सभी जगह अनजान चेहरे थे - हिचक थी कि जाती नहीं थी।
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चमत्कार
नौकरी लगी तो लगा चमत्कार हो गया। वैसे मेहनती था, और महत्वाकांक्षी भी, खाना-पीना छोड़ के हर रोज़ पंद्रह-पंद्रह घंटे काम करने लगा।
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होली
बचपन में होली के दिन सुबह सात बजे ही बाहर निकल जाता - पिचकारी, गुब्बारे, रंग सब साथ में होते। सारे शहर में भटकता, दोस्तों के संग ढेरों गुजिया खाता..
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तरक़्क़ी
वीरान सा शहर हुआ करता था, सही मायने में तो गाँव ही था। दिल्ली वाली सड़क भी कच्ची थी, पहुँचने में घंटो लग जाते।
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मेमना
चलते चलते थक सा गया था, एक पेड़ के नीचे रुका तो एहसास हुआ कि घर से बहुत दूर आ चुका था - एकदम से मन में सैकड़ो सवाल गूँज गए - खाने-पीने का क्या होगा, कहीं कोई बड़े जानवर का शिकार बन गया तो?
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अप्रैल-फ़ूल
“शाम होने को आयी थी, अर्जुन चिंतित था - या तो जयद्रथ को मारना था या फिर स्वयं मर जाना था। अचानक से अँधेरा छा गया, और उसका फ़ायदा उठाते हुए अर्जुन ने जयद्रथ को मार गिराया - विश्व में सबसे पहले कृष्ण ने कौरवों को अप्रैल-फ़ूल बनाया था”
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तनख्वाह
गांव गया तो बचपन का साथी, काशी मिला। बोला - बड़े दिन बाद आया सोनू तू तो। बड़े ही प्यार से मिला, मेरे बारे में पूछा, मेरी तनख्वाह पूछी।
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चक्र
शुक्ला जी का बेटा क्रिकेट की स्टेट टीम में सेलेक्ट हुआ है। खुश हैं, पर थोड़ी जलन सी है - वर्मा जी का बेटा आई आई टी मंडी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग पढ़ने जा रहा है।
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दुनिया
बहुत ही होनहार कवि था - एक-दो संकलन प्रकाशित हुए, पर ना नाम बना, ना काम। सुना है आज मर गया।
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नई कार
नए शहर में आते ही उसने नई कार खरीदी - और पहले ही दिन उसकी कार में किसी ने अपनी जीप भिड़ा दी।
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कच्चे खिलाड़ी
ओफ-ओ, बहुत ही कच्चे खिलाड़ी हो, आपको तो बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा ! माना कि आप अपनी छह महीने की बेटी को स्वींमिंग कराने ले गए और सर्दी हो गयी - पर मम्मी को कोई बताता है क्या?
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अहँकार
गाँव के ऊपर से हर रोज़ दस बजे एक हवाई जहाज़ निकलता था - देखता और सोचता कि ऊँगली से भी छोटे इस जहाज़ में लोग कैसे बैठते होंगे!
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मुआवज़ा
इस साल की फसल सूखे में खराब हो गयी थी, और चार घंटे लाइन में लग कर उसे मुआवजे में मिले थे पूरे छब्बीस रुपये और इकतालिस पैसे।
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आलसी
उसने बहुत सारी नौकरियाँ की, पर किसी में भी थोड़े दिन से ज्यादा ना रह पाया - हर बार फीडबैक मिलता कि वो बहुत ही आलसी है।
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आफिस मेज़
एक बड़े से आफिस में एक बड़ी सी मेज़ थी, और उसमे रहते थे बहुत सारे कागज़। कुछ ने रंग-बिरंगी फाइल्स में घर बना लिया था, और जो खुले थे वो सुंदर-सुंदर पेपर-वेट के साथ में रहते। पेन और पिन ने भी शादी कर मेज़ पर ही अपना घर बसा लिया था।
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किताब
कम्पनी में नई-नई आई थी, अक्सर हाथों में किताब लिए दिखती।
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लाइटहाउस
उस निर्जन टापू पर अकेले खड़े लाइटहाउस पर लगी लाल बत्तियाँ रात भर जलती-बुझती रहती थी।
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दोष
“नौकरी छोड़ रहा हूँ, अब बस अपना रेस्टोरेंट शुरू करूँगा - थोड़े दिन में एक बड़े से घर में शिफ्ट कर जाएंगे, तुम्हारे लिए भी नई कार ले लेंगे, चाहो तो तुम भी नौकरी छोड़ के रेस्टोरेंट ही ज्वाइन कर लेना”
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मास्क
एक बड़े से महानगर के एक बड़े से घर के बाहर वो स्कूल जाने के लिए तैयार खड़ी है - हाथ में साफ़ पानी की बोतल है, और चेहरे पर प्रदूषण से बचने के लिए मास्क।
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रूटीन
चारो तरफ भीड़ है, और वो पुलिस के सामने फिर से ‘जानता है मेरा बाप कौन है’ का रूटीन शुरू किये हुए है।
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कहानी
रूही और राघव की पसंद-नापसंद एक जैसी थी, दोनों को बारिश बहुत पसंद थी। और साथ में चाय हो जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता। किताबें पढ़ने का भी शौक़ था, और दोनों प्रेमचंद की कहानियों के दीवाने थे…
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स्याही
दोस्तों से मंत्रीजी के ऊपर स्याही फेंकने की शर्त थी - मनमौजी हूँ, मैंने तो स्याही के साथ साथ चप्पल भी फेक दी…
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दूर
साथ में पढ़ा करते थे, इस बार मिला तो पता चला कि उसकी नौकरी छूट गई है। बहुत अक्लमंद था, इसलिए मुझे दुख हुआ। पर वो एक नए उत्साह के साथ नई नौकरी ढूंढने में लगा था।
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डॉ मनौला
डॉ मनौला एक वैज्ञानिक थे, उन्हें हर चीज़ की तह तक पहुँचने का कीड़ा था।
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स्कूल
आज अवि पहली बार स्कूल जाने को तैयार खड़ा है, वो तो ख़ुशी और उत्साह से चहक रहा है, पर उसकी बड़ी बहन, तवी गहरी सोच में डूबी है।
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अपूर्व
नाम अपूर्व था, और उसकी बोर हो जाने की क्षमता भी अपूर्व थी!
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कू
गिरोह का सरगना था - सभी लोग उसे कू बुलाते। दिन में एक बड़े से ऑफिस में काम करता, पर शाम को भोले-भाले लोगों को ढूंढ़कर उन्हें चने के झाड़ पे चढ़ाता, और फिर उनसे महंगे रेस्टोरेंट में ट्रीट लेता..
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फ़िल्में
श्याम बेनेगल से लेकर करण जौहर तक, सत्यजित रॉय से लेकर क्वेंटिन टारनटिनो तक - उसे हर तरह की फ़िल्में पसंद थी। हर रात कभी एक, कभी दो फ़िल्में देखता। और हर सुबह जब देर से आँख खुलती तो दिन भर पछताता..
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कस्तूरी-मृग
कुछ आत्म-विश्वास की कमी कहिये, अपने आप को हमेशा दूसरों से कम आँकता। सुगंध के पीछे कभी इधर भागता, कभी उधर - कभी ना जाना कि वो सुगंध उसी के अंदर से आती थी..
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मौसम
दिल्ली की सर्दी से परेशान हो चला था - ठंड, कोहरा और प्रदूषण - ना काम करने की इच्छा होती, ना घर से बाहर निकलने की।
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ट्रैफिक पुलिस
पेट भरने की मज़बूरी ही थी कि उस लेख़क को ट्रैफिक पुलिस में भर्ती होना पड़ा।
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बाई
अपने घर का सपना अन्ततः पूरा हुआ - सफ़ाई के लिए एक बाई भी रखी गई।
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ट्रैफिक
गाड़ियों का सैलाब खड़ा था - कुछ जवाँ खूबसूरत सी कार थीं और कुछ उम्र-दराज़, पर तजुर्बेकार गाड़ियाँ। ट्रैफिक जाम में फँसे हुए हॉर्न के जरिये कुछ से बातें की, अपने सुख दुःख बाँटे, कुछ मज़ाक किया; थोड़ा लगाव हुआ ही था कि ट्रैफिक खुला और मेरा मोड़ आ गया
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प्रतियोगिता
रविवार निश्चिन्त था - सप्ताह के सबसे पसंदीदा दिन की प्रतियोगिता रखी गयी थी, और रविवार की जीत लगभग तय थी - आखिर छुट्टी का दिन किसको पसंद नहीं?
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छल
रस्ते में वो खड़ा था,
कब से मेरे पीछे पड़ा था
बेबस, कब तक मैं लड़ती!
गटर में मेरा बर्बाद शव पड़ा था -
मृत्यु-शैया
मृत्यु-शैया पर लेटा हूँ - आज पहली बार लगता है जैसे वास्तव में मुक्त हूँ! स्कूल, होमवर्क, कॉलेज, परीक्षा, नौकरी, शादी, तनख्वाह, तरक़्क़ी, रुतबा, शोहरत, घर, बच्चे - धीरे-धीरे जीवन जाल में यूँ ही जकड़ता गया..
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पक्का पंडित
पक्का पंडित था, 33 करोड़ देवी-देवताओं में विश्वास रखता। बस फर्क इतना कि उसने सचिन तेंदुलकर को शामिल कर बेमतलब बारिश से मैचेस ख़राब करने वाले इंद्र देव को हटा दिया था।
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टाइम मशीन
टाइम मशीन में अपूर्व ने तीन साल पहले का समय सेट किया और लौट चला उस दिन को जब बॉस ने सबके सामने उसकी हँसी उड़ाई थी…
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गूगल मैप्स
गूगल मैप्स को क्या पता है, हम से पूछो - मंत्रीजी की बेटी की शादी है, और सारा मंत्रालय शादी की तैयारियों में लगा हुआ है।
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फेसबुक
पहली बार जा रहा था, फेसबुक पर फोटो का पूरा एल्बम बनाने का प्लान था, सेल्फी स्टिक भी खरीदी थी। पहुँचके पता चला कि कैमरा एलाउड ही नहीं है - सारा उत्साह गायब हो गया।
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झगड़े
महानगर में रहते हुए वो अपने छोटे से शहर को बहुत मिस करता है…
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कॉर्पोरेट लाइफ
दिन भर वो शाम के 4 बजे की चाय का इंतजार करता, अब रात के 9 कब बज जाते है, पता ही नही चलता!
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नींद
ट्रैन के हॉर्न सुनने की अब आदत सी हो गयी है, रेल रोको आंदोलन क्या हुआ, रात भर नींद नही आई!
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प्रोबेबिलिटी
गणित का महारत था, बैसियन थ्योरम से उसने घर मे फिर से दुर्घटना में दूसरी मौत की प्रोबेबिलिटी निकाली थी
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आर्मचेयर एक्टिविस्ट
डू यू न्यो, इंडिया के नेता और सरकार कितने लापरवाह है? मुझे देश के हालात की बड़ी चिंता होती है, अपना कितना समय व्हाट्सएप्प-फेसबुक पर लाइक-माइंडेड लोगो के साथ विचार विमर्श में बिताता हूँ, सुझाव देता हूँ। कोशिश करता हूँ कि ग्रुप में मेरे विचारों पर सहमति बने।
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ठेकेदार
वो भारतीय सस्कृति को विश्व मे सबसे श्रेष्ठ मानता और कोशिश करता कि परिवार और मित्र जन हमेशा भारतीय परम्पराओ का पालन करें।
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विक्टोरियन लंदन
विक्टोरियन लंदन से न जाने क्यों वो बड़ा आकर्षित था, उसने उस समय पर बनी सारी पिक्चर्स और नॉवेल्स पढ़ी हुई थी।
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ब्रेकअप
रिया ने जब से अर्जुन का दिल तोड़ा है, तब से अर्जुन पागल सा हो गया है - दिन भर अत्ताउल्लाह खान के गाने सुनता है, ऑफिस में रिया को देख-देखकर रोता है
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दस प्रतिशत
उस झील के पास सैलानियों की बड़ी चहल-पहल रहती, आज पुलिस का पहरा है, स्टॉक मार्केट जो दस प्रतिशत गिरा है!